आर्य नरेंद्र (नरवाना)

||ओ३म्||
नमस्ते जी,

आर्य निर्माण सत्र का मेरा अनुभव

परमात्मा की असीम कृपा से धार्मिक माता पिता मिलने पर बचपन से ही आस्तिकता की ओर मेरा रुझान रहा है| एक विद्यार्थी के ये कहे जाने पर कि श्रावण मास में हर सोमवार व्रत करने से मनवांछित फल मिलेगा, मैंने उस श्रावण के साथ साथ 2008 से 2012 तक नियमित सोमवार का उपवास किया| मैं मूर्ति पूजा की चरम अवस्था को प्राप्त कर रहा था| शिवजी की प्रतिमा सदैव साथ रहती थी| जब तक सुबह स्नान करके शिव प्रतिमा पर जल न चढ़ा लूँ, भोजन न करूँ| स्वयम् भले स्नान न कर सकूँ, पर अपने आराध्य को स्नान अवश्य करवाऊँ, ये वहम सा हो गया था| मुझे जीवन में जहाँ भी सफलता मिलती मैं उसका सारा श्रेय अपने आराध्य शिव को ही देता और कर्म फल की अपेक्षा अपने व्रत का फल समझता|

परिवार में समानांतर एक विचारधारा का और उद्भव हो रहा था| मेरे अनुज आर्य मोहन जी ने राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा द्वारा आयोजित 2 दिवसीय लघु गुरुकुल से वैदिक शिक्षा ग्रहण की थी और वो मुझे निरन्तर आर्यत्व हेतु प्रेरित करते जा रहे थे| पर मेरी बुद्धि अब तक जो चलता आ रहा था, उसी में लीन थी| 05 वर्ष तक सत्यार्थ प्रकाश मेरे बैग में मेरे साथ रही, पर दुर्भाग्य से पढ़ ही नही सका| जीवन की उलझनों के चलते सत्र हेतु भी समय नही निकाल पाया| मार्च 2012 में आर्य मोहन और प्रो जयपाल आर्य आदि के अति अनुरोध और दबाव के चलते मैं आंशिक रूप से सत्र में उपस्थित हुआ| मानसिक अनुपस्थिति के कारण कुछ तथ्य ही समझ पाया| अब मन दुविधा में आ गया क्या करूँ? किस पथ पर बढूँ? धीरे धीरे मूर्ति पूजा से विमुख होता जा रहा था, पर निश्चय ही नास्तिकता की ओर भी मुड़ रहा था| जीवन बिना उद्देश्य के ऐसे ही व्यतीत हो रहा था| पर एक सकारात्मक बात ये भी थी कि नाम से आर्य बन गया था| एक कम्युनिस्ट मित्र ने अपना रंग चढ़ाने का भरकस प्रयास किया, मनोवैज्ञानिक दबाव भी बड़ा पड़ा| अब जीवन अलग ही पथ की ओर मुड़ गया था| परन्तु कहीं न कहीं आत्मा संतुस्ट नही थी, अजीब सी घुटन की अनुभूति हो रही थी|

जीवन में उठा पटक निरन्तर जारी थी| आत्मा कुछ और ही चाह रही थी| आर्य मोहन जी अपने कार्य, मेरा आर्यकरण, में डट कर लगे थे| मेरी स्थिति किम् कर्तव्यविमूढ़: वाली हो चुकी थी| मोहन जी के साथ आर्य और कम्युनिस्ट मित्र के साथ उसका स्नेही!

आखिर आर्य मोहन जी का धैर्य और 5 वर्षो का सतत पुरुषार्थ रंग लाया और 27 जून 2015 को वो भाग्यशाली दिन आया जब मुझे आर्य निर्मात्री सभा के आर्य प्रशिक्षण सत्र में पुनः पूर्ण काल के लिए बैठने का सुअवसर प्राप्त हुआ|

वही मिला जिसके लिए आत्मा वर्षो से प्रतीक्षा में थी|
आत्मा का वास्तविक भोजन- वेद विद्या का ज्ञान

जिस प्रकार चातक पक्षी केवल मेघ जल से ही अपनी प्यास बुझाता है, आत्मा भी वैदिक ज्ञान से ही तृप्त होती है|

2 दिन में क्या अद्भुत अनुभूति हुई, शब्दों में व्याख्या नही की जा सकेगी| ज्ञान के अथाह सागर में जम कर डुबकी लगाई| ईश्वर, धर्म, राष्ट्र आदि सभी विषयो का इतना विस्तार पूर्वक अध्ययन जीवन में पहली बार करके मैं गदगद हो रहा था| अष्टांग योग से ईश्वर प्राप्ति और लोक प्रचलित तथाकथित योग की सच्चाई जानकर मैं विस्मित था| वास्तव में राष्ट्रीयता क्या है, समझ में आया| आचार्य जी इतने गूढ़ विषयो को सहजता से समझाते जा रहे थे| एक अध्यापक होने के नाते मैं उनकी अध्यापन शैली की विशेष रूप से प्रशंसा करता हूँ|
अहा! क्या अद्भुत दिन था सत्र उपरांत वो 28 जून 2015 का|

जब ज्ञान और ऊर्जा से भरपूर, उत्साह पूर्ण जीवन जीने को उद्धत, पूर्ण कर्मशीलता और सकारात्मकता के साथ मैं निकल पड़ा, पूर्ण आर्यत्व की ओर, वेदों की ओर, कृण्वन्तो विश्वम् आर्यम् की सार्थकता की ओर|

तनिक बैठकर विचार भी किया क्यों मैंने अपने जीवन के इतने वर्ष गवाएं और वेद पथ से अनभिज्ञ रहा|

अपने पूर्वजो के श्रेष्ठ सिद्धान्तों से अछूता रहा|
ये मेरा दुर्भाग्य ही रहा|

पर ये बात भी सही है, जब जागो तभी सवेरा| अभी जीवन का बड़ा हिस्सा बाकि है और अब तो पुनर्जन्म में भी पूर्ण विश्वास हो गया है| अब पीछे हटने का इरादा नही|

राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा के 2 दिवसीय लघु गुरुकुल ने जीवन की दशा और दिशा दोनों बदल दी| सत्यार्थ प्रकाश नामक अमूल्य ग्रन्थ भी पढ़ा| नायक के रूप में सच्चे ईश्वर का बोध हुआ, ऋषि दयानन्द सरस्वती के राष्ट्र के प्रति किये उपकारों का ज्ञान हुआ और वेदों को जानने का अवसर प्राप्त हुआ|

संक्षेप में कहूँ तो यथार्थ जीवन उद्देश्य का परिज्ञान हुआ|

धन्य है राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा….
धन्य है सभा के विद्वान आचार्यगण….
जो निरन्तर मेरे जैसे अनेक युवाओ को आर्य समाज और वेद पथ की ओर अग्रसर करते हुए जीवन जीने की असली कला से परिचित करवा रहे है| राष्ट्र भक्त बना रहे है|
धन्यवाद प्रिय अनुज आर्य मोहन जी, पुरे प्रक्रम में अहम भूमिका हेतु|

जय आर्य….
जय आर्यावर्त….
आर्य नरेंद्र नरवाना
प्राध्यापक रसायन विज्ञान
नरवाना (हरियाणा)
आर्यावर्त
मो० 9812097731⁠⁠⁠⁠


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